सबसे खूबसूरत पारी!  

Posted by रूपाली मिश्रा in , ,

सबसे खूबसूरत चीजें कविता में एक लाइन जोड़ने का मन था .


सबसे खूबसूरत वो पारी है
जो अभी खेली जानी बाकी है

सचिन के लिए .

मुझे क्रिकेट में कोई ख़ास रूचि नही है पर जब भी मैच होता है सचिन का खेल देखने बैठ जाती हूँ . कभी कभी तो ऐसा मन होता है कि ओपनिंग करने वाले और सचिन के पहले आने वाले आउट हो जाय जिससे सचिन क्रीज पर आ जायें और ........
हर टेस्ट के पहले सोचती हूँ कि इस टेस्ट में सचिन ४०० क्रास कर जाएँ . हर वनडे के पहले मन होता है कि काश इस मैच में सचिन २०० क्रास कर जाए . मेरे दोस्त कहते हैं मुझे क्रिकेट की समझ नही है . मै हूँ जानती वो सही हैं.
पर सचिन आइकोन सिर्फ़ अपने क्रिकेट के लिए ही नही बने हैं. उनकी सरलता , उनकी लगन , उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति सब कुछ मिलकर उन्हें आइकोन बनाती है. २००३ के वर्ल्ड कप में पहले दो मैचों के बाद कप्तान और कोच नही सचिन को प्रेस कांफ्रेंस करे को कहा गया कि भारतीय क्रिकेट प्रेमी भरोसा रखें . वो एक ऐसा चह हैं जिनमे अपने आप भरोसा हो जाता है .
कुछ दिन पहले किसी ने कहा था कि ओबामा अमेरिका के लिए वही है जो क्रिकेट के लिए सचिन हैं. पता नही इन समानताओं में क्या होता है क्या नही .
कभी कभी सोचती हूँ कि भारतीय राजनीति को उसका अपना सचिन कब मिलेगा ,
जिसमे भरोसा हो सबको
जो खरा उतरे उन भरोसों पर
भले ही प्रश्न उठें पर वो उत्तर देने को हमेशा तत्पर रहे .

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This entry was posted on Dec 19, 2008 at Friday, December 19, 2008 and is filed under , , . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

9 comments

Anonymous  

कहने को आर्यसमाजी हूँ .....पर क्रिकेट में घोर अन्धविश्वासी हूँ खास तौर से सचिन को लेकर ..इस शतक में भी खड़ा रहा घूमता रहा ,बैठा नही......जब वे आउट हो जाते है .अचानक मूड ऑफ़ हो जाता है.....१८ साल से ये आदमी कितनी उम्मीदों का बोझ अपने कंधो पे उठाये घूम रहा है फ़िर भी विनम्र है.....

December 19, 2008 at 1:06:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

यकीनन सचिन के आईकॉन बनने की एक वजह उनकी सरलता और सहजता भी है। अभी कल ही की बात है, जब टीवी पर समाचार सुना कि उनके घर बनवाने के कारण पडोसियों को होने वाली असुविधा के लिए उन्‍होंने क्षमा मांगी है। वर्ना लोगों का तुर्रा यह होता है कि जानबूझ दूसरों को परेशान करने में गर्व महससू करते हैं।

December 19, 2008 at 1:36:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

अपना अंधविश्वास मैंने नही लिखा था डा अनुराग की तरह मै भी अन्धविश्वासी हूँ मै रिमोट पर कब्जा करके बैठती हूँ की कहीं कोई चैनेल न चेंज कर दे

December 19, 2008 at 2:17:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

जो क्रिकेट नहीं भी पसंद करते हैं वो सचिन को पसंद करते हैं और उनके जैसी विश्वसनीयता की हमारे देश के राजनैतिक पटल को भी जरुरत है

December 19, 2008 at 2:57:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

सचिन नेक इन्सान लगते हैं।

December 19, 2008 at 4:19:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

सभी से सहमत,
सचिन में सम्पूर्ण भारतीयता जो दिखती है,

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December 20, 2008 at 1:55:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

जो पेड़ फलों से जितनी लदी होती हें वो उतनी ही झुकी नज़र आती हैं. हमारा सचिन इन्ही पेड़ों में से एक पेड़ हैं.

रूपाली, आपने बहुत सही लिखा है!

December 24, 2008 at 5:51:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

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December 25, 2008 at 10:12:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

सचिन भारत के सबसे बड़े आइकन हैं| कभी कभी तो ताज्जुब होता है, कोई क्यूँ काम करता है, पैसे के लिए, शोहरत के लिए, ख़ुद के लिए| इस इंसान के पास पैसा है, शोहरत की बुलंदियां हैं, फ़िर भी बिना रुके खेलते जातें हैं! कारण सिर्फ़ एक ही हो सकता है, अपने काम के लिए प्यार| इनपर इल्जाम लगाने वाले ये बात भूल जाते हैं|

December 26, 2008 at 8:49:00 PM GMT+5:30

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