टिप्पणियों में संयत भाषा का प्रयोग करें  

Posted by roushan in , ,

हमें यह सब इसलिए लिखना पड़ रहा है क्योंकि कल हमें मजबूरन दो टिप्पणियां मिटानी पड़ीं।

हमारा शुरू से मत रहा है कि सभी को, चाहे वो जो भी बात कह रहा हो अपनी बात कहने का पूरा हक़ है और उनबातों को सुना भी जाना चाहिए कोई इतना भी सही क्यों हो उसे दूसरों को बिना पढ़े, सुने और तर्क किए ग़लतठहराने का हक़ नही मिलता है।

ब्लॉग लिखने का फायदा ही क्या अगर आप दूसरों की बात नही सुन सकते।

इसी भावना को ध्यान में रख कर हमने कभी भी कमेन्ट मोडरेशन का विकल्प नही पसंद किया।

वस्तुतः हमारे जैसे समाज में, जहाँ तमाम तरह की सोच और विचारधाराओं वाले लोग रहते हैं , वार्तालाप कीप्रक्रियाएं हमेशा चलती रहनी चाहिए। इससे सिर्फ़ समझ बढती है बल्कि लोगों को करीब आने का मौका मिलताहै। हिन्दुस्तान की जिन बातों पर हमें हमेशा से नाज रहा है उनमे लगातार चलने वाली वैचारिक आदान-प्रदान कीप्रक्रिया भी शामिल रही है।

हमारा मानना है कि वैचारिक बहसों में एक दुसरे के विचारों के विरोध में और अपने विचारों को रखते हुए हर कोईबिना शिष्टता की सीमा लांघे आक्रामक हो सकता है और उसे होना भी चाहिए।

पर बहस में विवेक खो देना और अशिष्ट टिप्पणियां देना बिल्कुल ही अनुचित है। अशिष्ट टिप्पणियां केवलआपकी व्यक्तिगत कमजोरी का प्रदर्शन करती हैं बल्कि आपकी विचारधारा को भी कमजोर रूप में प्रदर्शित करतीहैं। इस प्रकार की टिप्पणियों से वो लोग जो आपकी बात सुनने को तैयार रहते हैं , आपके और आपकी विचारधाराके प्रति एक नकारात्मक पूर्वधारणा बना लेते हैं।

कल हमने अपने ब्लॉग से दो ऐसी टिप्पणियां मिटायीं जो हमारे लिहाज से शिष्ट और सभ्य वार्तालाप में कभी नहीआनी चाहिए

आपसे हमारा यही निवेदन है कि अपनी बात प्रभावशाली ढंग से रखें और अशिष्टता से बचें।

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This entry was posted on Dec 3, 2008 at Wednesday, December 03, 2008 and is filed under , , . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

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