क्या हमारा राष्ट्रीय ध्वज साम्प्रदायिक है?  

Posted by roushan in , , ,


यह सवाल हमारे मन में उठा एक कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक मित्र के एक कथन से
हमारे एक मित्र ने उन्हें सुझाव दिया कि एक जगह पर राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का प्रयोग किया जाय उन्हें इस बात पर आपत्ति थी उनका कहना हुआ कि राष्ट्रीय ध्वज में भगवा रंग उन्हें नही पसंद है इससे साम्प्रदायिकता की झलक मिलती है यह सोच हमें अचंभित कर गई
हम इस बात के पक्ष में नही रहते कि किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रीय चिन्हों का सम्मान करना जरूरी है देशभक्त होने के लिए हमारा मानना है कि देशभक्ति राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान पर निर्भर नही करती बल्कि यह तो व्यक्ति की सोच पर निर्भर करती है राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान और उनके प्रति प्रेम दिखने वाले कई लोग अपने कृत्यों से वस्तुतः राष्ट्रविरोधी होते हैं और इन बातों को महत्त्व देने वाले कई लोग अपने कृत्यों से राष्ट्रभक्त होते हैं
हमें उन मित्र की राष्ट्रीय ध्वज सम्बन्धी सोच पर ऐतराज होता अगर उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को साम्प्रदायिक बताने की अपनी सोच के पीछे कारण सिर्फ़ उसमे भगवा रंग का होना बताया होता तब ये सिर्फ़ उनकी सोच होती जो किसी के लिए सही और किसी के लिए ग़लत होती अगर वो भगवे के साथ हरे रंग का भी जिक्र कर देते
अगर भगवा रंग साम्प्रदायिकता की झलक है तो हरा रंग इससे अछूता कैसे है? यह सिर्फ़ अंध हिंदू विरोध का प्रमाण है कि उन्होंने सिर्फ़ भगवा रंग का जिक्र किया सच तो यह है कि अगर कट्टरपंथी हिंदू धर्म में हैं तो और धर्मों में भी हैं जितनी आलोचना हिंदू कट्टरपंथियों की होनी चाहिए उतनी ही और मजहबों के कट्टरपंथियों की भी इस तरह की एकतरफा सोच रखने वाले कट्टरपंथियों से भी अधिक भ्रमित होते हैं और निंदनीय होते हैं
वस्तुतः हिन्दी में भगवा और केसरिया अलग अलग अर्थों के लिए प्रयोग किए जाते हैं भगवा रंग जहाँ सांप्रदायिक अर्थों के लिए प्रयोग किया जाता है वहीँ केसरिया बलिदानी भावना के लिए प्रयोग किया जाता है और हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रंगों के लिए केसरिया ही प्रयोग में आता है केसरिया और भगवे में कोई अन्तर रंग का होता है या नही हमें नही पता पर भावनाओं का अन्तर जरूर होता है और इस अर्थ में हरा रंग ज्यादा सांप्रदायिक हो सकता है उन लोगों के लिए जो रंगों को साम्प्रदायिकता से जोड़ते हैं
बहरहाल ऐसी सोचें राष्ट्रीय ध्वज के विकास की प्रक्रिया की जानकारी के अभाव के चलते होती है या फ़िर किसी एकमानसिकता में इतना रंग जाने पर कि और रंग दिखाई ही पड़ें

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This entry was posted on Jan 7, 2009 at Wednesday, January 07, 2009 and is filed under , , , . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

18 comments

Anonymous  

वो दिन दूर नही जब "हिंदुत्व" की तरह "हिंदू" शब्द भी साम्प्रदायिक करार दे दिया जायेगा| बहुसंख्यक होना इस देश में अपराध है|

January 7, 2009 at 10:46:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

हरा बना इस्लाम का, भगवा बना हिन्दू का रंग
देखकर ये सब उल्टा सीधा, खुद ऊपर वाला हैं दंग,
रंगों का रंग 'लाल' हो गया
तिरंगे पर भी बवाल हो गया
कैसे समझाऊं तुमको ओ बंधु, रंग तो बस होते हैं रंग...

January 7, 2009 at 11:03:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

क्या रंग-ओ-बू का भी कोई मज़हब होता है? चमेली, यास्मीन और Jasmine एक ही फूल के नाम हैं और इनकी भीनी ख़ुश्बू भी एक है.

January 8, 2009 at 12:37:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

राष्ट्रीय ध्वज साम्प्रदायिक नहीं है, तथाकथित सेकुलरिज्म साम्प्रदायिक है। और साम्यवादी तो वैचारिक भ्रष्ट हैं - उनकी देश के प्रति प्रतिबद्धता बार बार शक के घेरे में आ चुकी है।

January 8, 2009 at 9:37:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

भाई जान , आप इन कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक मित्र से बच कर रहो .

January 8, 2009 at 9:48:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

भाई साब
सबसे पहले बताएं इस बात की पड़ताल करनें की
ज़रूरत क्यों आन पड़ी भैया जी संविधान,प्रतीक,राष्ट्रगीत,
,राष्ट्रगान,और राष्ट्र -ध्वज को तो कुशंकाओं की परिधि में
मत लाओ भाई...!!

January 8, 2009 at 11:28:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

और डपट दो उनको जो ऐसे वाक्-विलास के प्रेरक हों
यदि न बनें तो उनका नाम-पता दे दो जी हम
राष्ट्रीयता के अर्थ बतादेंगें उन को लिख कर
संविधान की सीमाओं में रहकर मेरी राय तो ये भी है
की आप इस पोस्ट को ही राष्ट्र हित में हटा लें
सादर वंदे-मातरम

January 8, 2009 at 11:32:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

इस ब्लॉग को मैं गंभीर ब्लॉग मानता रहा हूँ लेकिन आज मुझे पुनर्विचार करना होगा

January 8, 2009 at 11:36:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

जिन लोगो की आंखों पर ऐसा चश्मा चढा होगा उनका कुछ नहीं किया जा सकता है. कितनी भी बहस की जाए बेकार है...वैसे तो इस नज़रिए से कभी देखा नहीं पर जब देखते हैं तो पाते हैं की हमारा झंडा भी वाकई दोनों धर्मों को साथ लेकर चलता है, हिन्दुओं का भगवा और मुसलमानों का हरा. ये तो एक मिसाल हो सकती है.

January 8, 2009 at 12:41:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

kya kahen? sab to kuchh na kuchh kah hi gaye hain..

January 8, 2009 at 2:52:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

रंग बिरंगा है साब

January 8, 2009 at 4:44:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

हमारा राष्ट्र ध्वज साम्प्रदायिक नहीं है, आपका कम्युनिस्ट विचारधारा का समर्थक मित्र क्या कम पढ़ा-लिखा है? उससे कहिये कि कुछ पढ़ ले, अधिक नहीं तो मेरा ब्लॉग ही ... http://suitur.blogspot.com/2008/01/blog-post.html
डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति बने, उन्होंने राष्ट्र ध्वज के रूप में अपनाये जाने वाले इस तिरंगे का सम्पूर्ण अर्थ बताते हुए कहा - केसरिया रंग की पट्टी हमारे कार्य के प्रति उत्साह एवं समर्पण की भावना को प्रदर्शित करता है। बीच का सफ़ेद रंग प्रकाश का प्रतीक है, जो सच्चाई के मार्ग को दिखाता है और हमारे अच्छे आचरण का प्रतीक है। हरा रंग हमारे देश की मिट्टी से हमारे संबंध को प्रकट करता है, यह हमारे देश के हरे-भरे पौधों से हमारे संबंध को दर्शाता है जिस पर सभी का जीवन निर्भर है तथा सफ़ेद पट्टी के मध्य में बने नीले रंग का चक्र हमारी गति, प्रगति का द्योतक है। यह शांतिपूर्वक परिवर्तन का भी सूचक है।

January 8, 2009 at 8:03:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

आज जब बात चली है तो याद आया कि एक बार ऐसा अजीब वाकया मेरे साथ भी हुआ था| एक पक्के कम्युनिस्ट से मेरी बात चल थी, और मैंने यूँही कहा कि एक जगह हम सभा में गए थे तो वहां राष्ट्र-गान बजा| बहुत दिनों बाद राष्ट्र-गान सुन के हमें बहुत अच्छा लगा| तो वो हंसने लगा, और बोला कि ये सब बकवास है| देशभक्ति और ये सब दिखाने की चीजे हैं| उसके अनुसार राष्ट्र-गान बजते समय सावधान की मुद्रा में खड़े होना भी ग़लत था| हमने उससे केवल एक प्रश्न पूछा:

तुम अपने पिताजी से क्या कहकर संबोधित करते हो? वो बोला, "बाबा"| हमने कहा, क्यों? अपने बाबा को इतना सम्मान क्यों देते हो? उनके लिए सम्मान तुम्हारे दिल में होना काफ़ी है, दिखाओ मत| उनसे गाली-गलोज करो, उनका नाम लेके बोलो| लेकिन दिल में उनका खूब सम्मान करो......... बस उतना ही बहुत है|
वो बिल्कुल निरुत्तर हो गया|

भैये, ये कम्युनिस्टों को बंगाल के बारे में एक भी उलटी बात बोल के तो देख लो....... इनका बंगाल प्रेम बाहर आ जाएगा| ये केवल भारत के बारे में ही उलटी सीधी बाते करके अपनी तथाकथित बुद्धिमत्ता का प्रमाण देते हैं|

January 8, 2009 at 9:28:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

जहाँ तक मुझे ज्ञान है भगवा और केसरिया रंग एक ही हैं , यह रंग त्याग, जोश किसी प्रण एवं प्रतिज्ञा का प्रतीक है अग्नि तत्व काभी प्रतीक है | हरे रंग कभी एक अर्थ है ,सफेद रंग शांति का ,चक्र प्रगति एवं समय का , नीला रंग विशालता अथवा अनन्त आकाश का यहाँ तक कि चक्र में तीली की गिनती का भी एक अर्थ है | जब इसे भारत का राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया तो प्रत्येक प्रतीकों को परिभाषित किया गया है |
रही कम्युनिष्ट लोगों की बात उन्हे तो केवल लाल रंग यानी इंसानी लहू का रंग ही पसंद आता है

January 9, 2009 at 12:01:00 AM GMT+5:30
Anonymous  

सोचने पर टैक्‍स नहीं लगता, कोई कुछ भी सोच सकता है।

January 9, 2009 at 12:17:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

national flag in sochon se pare hona chahiye

January 9, 2009 at 2:47:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

yaar rang to rang hai......ab uska istemaal bjp kre con kre hindystaan kre ya paakistaan.inhone rang khreed thodi na liya hai humesha ke liye??rang to vhi hai.......rang...jo rangheen nhi hai rangeen hai.

January 14, 2009 at 4:25:00 PM GMT+5:30
Anonymous  

Yaar logon ko koi kaam dham nahi hai kya...faltoo ka dimag ka dahi banate hain. Ab kuh din baad kahenge ki national flower lotus ka color change kar do...hadd hai.

January 15, 2009 at 7:48:00 PM GMT+5:30

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