भाजपा को गाँधी नाम का सहारा
अभी कुछ दिन पहले एक वरिष्ठ ब्लॉगर ने हमें भाजपा पर चिंतन करने का काम सौपा था । कुछ ज्यादा सोचते तभी भाजपा ने लोक सभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की दूसरी सुचीजारी कर दी । हमें लगा शुरुआत यहीं से करना ठीक रहेगा।
भाजपा की लोकसभा उम्मीदवारों की दूसरी सूची में भी लखनऊ सीट का मामला तय नही हो पाया। कई बार से भाजपा की पहली सूची में स्थान पाने वाला लखनऊ अभी कशमकश में है। लखनऊ सीट से भाजपा में कई नाम चल रहे हैं जिसमें प्रमुख हैं लालजी टंडन, कलराज मिश्रा , मेयर दिनेश शर्मा और पूर्व मेयर एस सी राय । वैसे अटल बिहारी लड़ते तो ज्यादा अच्छा रहता हमें एक बार और उनके ख़िलाफ़ वोट देने का मौका मिलता।
खैर भाजपा की दूसरी सूची
लगता है अब भाजपा भी उत्तर प्रदेश में ख़ुद को गाँधी परिवार से फ़ायदा लेने की स्थिति में देखना चाहती है तभी तो पहली सूची में दो नाम उसी परिवार से हैं। मेनका गाँधी जहाँ अब तक जे डी यु की सीट रही आंवला से लड़ रही हैं वहीँ उन्होंने अपनी पीलीभीत सीट अपने पुत्र वरुण के लिए छोड़ दी है । वरुण का भी नाम इस दूसरी सूची में है। देखने वाली बात यह होगी किअभी तक मेनका और उनके पति संजय के ख़िलाफ़ तमाम प्रचार करती रहने वाली संघ परिवार की चरित्र हत्या ब्रिगेड क्या करती है इस ब्रिगेड के कम से कम एक स्वयंभू सदस्य हिन्दी ब्लॉग जगत में भी काफ़ी सक्रिय हैं.
अभी कुछ दिन पहले हमने उनके ब्लॉग पर तमाम अनजाने सूत्रों से प्राप्त जानकारियों का भण्डार पाया था।
एक ही हार ने जोशी जी जैसे भारत माता की धरोहर का दिल ऐसा तोड़ दिया कि संगम का त्याग करके वाराणसी का रास्ता पकड़ लिया। खैर करियर के अन्तिम समय में बनारस जाना यूँ भी धार्मिक लिहाज से उचित था .
राजनाथ सिंह जी ने लोकसभा चुनाव लड़ने की हिम्मत करके अच्छा ही किया आख़िर उच्च पद की उम्मीदवारी के किसी मौके में हो सकता है यह भी काम आ जाय ।
कल्याण सिंह , पकंज चौधरी , योगी, अशोक प्रधान और संतोष गंगवार के नामों में कोई विवाद नही था ये सब सिटिंग सांसद हैं और पिछले लोकसभा में पहुँच पाने में कामयाब लोगों को छोड़ना उचित नही था। रामपुर से मुख्तार अब्बास नकवी के अलावा कोई और प्रत्याशी नही था .
इस समूह में वाराणसी कांग्रेस के पास है और एटा और रामपुर सपा के पास है और आंवला जे डी यु के पास जब कि अन्य सीटें भाजपा के ही पास हैं। गाजियावाद नयी सीट है.
उम्मीद है इन दिग्गजों के सहारे भाजपा अपनी खोयी जमीन वापस पाने की कोशिश करेगी में भाजपा को उत्तर प्रदेश से देतें मिली थीं तब से लगातार भाजपा तेजी से घटती रही है पिछले चिनावों में वह बमुश्किल दहाई का आंकडा छू पाई थी।
मजे की बात यह है कि अभी तक जिन नामों की सूची भाजपा ने जारी की है उसमे पार्टी के वरिष्ठ नेता ही रहे हैं. राजनाथ सिंह भले ही पहला चुनाव लड़ रहे हों पर वह भाजपा के अध्यक्ष हैं. इस प्रकार इस सूची में पहला चुनाव लड़ रहे वरुण का नाम कुछ तो संदेश देता ही है.
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