मौसमों का डाकिया  

Posted by roushan in ,

बादलों की उमंगें


तितलियों के रंग

नदियों की खिलखिलाहट

बारिशों की नज्में

बसंत की खुशबुएँ

और भी जाने कैसे कैसे

दिखाता रहा करिश्में

निकाल निकाल

अपनी जादुई पोटली से

जाते जाते मुस्कुराया शरारत से

वो मौसमों का डाकिया

और लिख गया मेरा नाम-पता

उदासियों के पार्सल पर

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This entry was posted on Oct 3, 2008 at Friday, October 03, 2008 and is filed under , . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

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