गहरे सन्नाटे में
चुपके से
धीरे धीरे
मेरे क़रीब आकर
किसी ने
मुझसे कुछ कहा!
मैं सहमी
अलसायी
नींद में उलझी,
पूछ बैठी
कौन है?
कोई जवाब नहीं
ना कोई पद चिन्ह
ना कोई परछाई
फिर भी
छोड़ गया
एक निःशब्द सवाल!
मैं कौन हूँ?
मेरा वज़ूद क्या है!
Reference - Turning the wheel
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on Oct 22, 2008
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कविताएँ,
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