बंद चीजें  

Posted by roushan in

कान कसकर बंद करने भर से
सुनाई पड़ना बंद नही होता
चीज़ें दिखती रहती हैं
आँखें बंद कर लेने पर भी
और कुछ न कुछ बोल जातें हैं
सिले हुए होंठ भी.


हम बस ढोंग करते हैं
न देखने, न सुनने
या फिर न बोलने का
और मन को समझा कर
कोशिश करते हैं ख़ुश रहने की
अपनी दुनिया में
अपनी बनाई सीमाओं में.


पर शायद
सोचना बंद हो जाता होगा
दिमाग़ बंद कर लेने से
नही तो कैसे चलता व्यापार
नफ़रत के सौदागरों का

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This entry was posted on Sep 11, 2008 at Thursday, September 11, 2008 and is filed under . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

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