Posted by roushan in

मेरे लिए कविता क्या है?
मेरी समझ से जब आप कुछ पढ़ते हुए बरबस ही मुस्कुरा उठें

कुछ पुराना याद कर के अपनी आँखे चोरी से पोंछदें
तो समझ लें अपने कविता पढ़ी है।
कविता पुरानी किताबों मे रखे सूखे फूलों जैसी होती है

कविता यूँ ही लिख उठे बिना मतलब के अक्षरों या शब्दों मे होती है
कविता ख़ुद को अतीत मे पहुँचा देने वाली तस्वीरों मे होती है
कविता अतीत ही नही होती
जब आप को अचानक किसी भी चीज़ से जुड़ाव सा लगने लगे
तो वो परिस्थिति ख़ुद ही कविता होती है

मुस्कुराहतें,
उदासियाँ,
कहकहे,
सिहरन,
आँसू,
बरसातें,
कुहरे,
रातें,
सुबहें............................बड़ी लंबी लिस्ट है

आप महसूस तो करें कविता हर जगह है।
यहाँ जो कुछ है वो उन सब चीज़ों का एक हिस्सा भर है

जो मैने कभी महसूस किया
और लिखने का साहस हो पाया
और लिख पाया।

बहुत कुछ रह जाता है,
बहुत कुछ कभी कभी रह जाने देना होता है।
बहुत कुछ महसूस तो किया जाता है पर समझ मे नही आता।
वो सब भी कविता ही है पर मै यहाँ ला नही पाया।
इसे पढ़ कर आप कुछ महसूस करें तो शायद इन सब को यहाँ लाना सार्थक हो।






रौशन



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


This entry was posted on Dec 12, 2007 at Wednesday, December 12, 2007 and is filed under . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

0 comments

Post a Comment

Post a Comment