26
Dec

बंद चीज़ें!  

Posted by roushan in

कान कसकर बंद करने भर से
सुनाई पड़ना बंद नही होता
चीज़ें दिखती रहती हैं
आँखें बंद कर लेने पर भी
और कुछ न कुछ बोल जातें हैं
सिले हुए होंठ भी.

हम बस ढोंग करते हैं
न देखने, न सुनने
या फिर न बोलने का
और मन को समझा कर
कोशिश करते हैं ख़ुश रहने की
अपनी दुनिया में
अपनी बनाई सीमाओं में.

पर शायद
सोचना बंद हो जाता होगा
दिमाग़ बंद कर लेने से
नही तो कैसे चलता व्यापार
नफ़रत के सौदागरों का

12
Dec

अगर तुम होते  

Posted by roushan in

फूल होते अगर तुम
तो मै करता इंतज़ार
तुम्हारे खिलने का
और भर लेता तुम्हारी सुंदरता
और सुगंध अपने मन में.

चाँद होते अगर तुम
तो निहारा करता देर तक
हर रात बस तुम्ही को
और महसूस करता तुम्हारी शीतलता
अपने अंतर्मन तक.

संगीत होते अगर तुम
तो सुनता और गुनगुनाता
हर पल तुम्ही को
और घुलता रहता अमृत सा
कानो में, जीवन में.
शब्द होते अगर तुम
तो दूहराता रहता हर पल तुम्हे
और शायद पसंद न करता
तुम्हारे सिवा और कुछ भी बोलना.

लेकिन ये सोच तो ग़लत है
सिरे से ही
कोई फूल, चाँद, संगीत
या शब्द न होकर
तुम केवल तुम ही हो

मैं मानता हूँ की ग़लत था मै
पर ये सच है कि तुम हमें
कभी फूल, कभी चाँद, कभी संगीत
या कभी शब्दों से,
और कभी कभी तो एक साथ
उन सब से लगे.
और माना हमने तुम्हें
हमेशा उन सबसे कुछ और ख़ास
उन सबसे कहीं अधिक प्यारा

12
Dec

 

Posted by roushan in

मेरे लिए कविता क्या है?
मेरी समझ से जब आप कुछ पढ़ते हुए बरबस ही मुस्कुरा उठें

कुछ पुराना याद कर के अपनी आँखे चोरी से पोंछदें
तो समझ लें अपने कविता पढ़ी है।
कविता पुरानी किताबों मे रखे सूखे फूलों जैसी होती है

कविता यूँ ही लिख उठे बिना मतलब के अक्षरों या शब्दों मे होती है
कविता ख़ुद को अतीत मे पहुँचा देने वाली तस्वीरों मे होती है
कविता अतीत ही नही होती
जब आप को अचानक किसी भी चीज़ से जुड़ाव सा लगने लगे
तो वो परिस्थिति ख़ुद ही कविता होती है

मुस्कुराहतें,
उदासियाँ,
कहकहे,
सिहरन,
आँसू,
बरसातें,
कुहरे,
रातें,
सुबहें............................बड़ी लंबी लिस्ट है

आप महसूस तो करें कविता हर जगह है।
यहाँ जो कुछ है वो उन सब चीज़ों का एक हिस्सा भर है

जो मैने कभी महसूस किया
और लिखने का साहस हो पाया
और लिख पाया।

बहुत कुछ रह जाता है,
बहुत कुछ कभी कभी रह जाने देना होता है।
बहुत कुछ महसूस तो किया जाता है पर समझ मे नही आता।
वो सब भी कविता ही है पर मै यहाँ ला नही पाया।
इसे पढ़ कर आप कुछ महसूस करें तो शायद इन सब को यहाँ लाना सार्थक हो।






रौशन